किसी ऐसे ही शख्स के सिपुर्द करना जो खौरख्वाह, खुदा तर्स, अमानत दार और निगरां हो।
5.
फिर यह कि अपने मुंशियाने दफातिर की अहम्मीयत पर नज़र रखना अपने मुआमलात उन के सिपुर्द करना जो उन में बेहतर हगों।
6.
दीवान साहब-तो मुझे बड़े दु: ख के साथ आपको उसी न्यायालय के सिपुर्द करना पड़ेगा, जहाँ न्याय का खून होता है।
7.
संस्कृत की मुच् धातु में ढीला करना, खोलना, मुक्त करना, अलग करना, छोड़ना, बाँटना, सिपुर्द करना जैसे भाव हैं ।
8.
जैसे तबलीगें सूर ए बराअत के सिलसिले में पैग़म्बर (स) का उन्हे माज़ूल (निलम्बित) कर के वापस पलटा लेना और यह ख़िदमत हज़रत अली (अ) के सिपुर्द करना, और यह फ़रमाना कि “ मुझे हुक्म दिया गया है कि इसे मैं ख़ुद पहुँचाऊ या वह शख़्स जो मेरे अहले बैत में से हो ” ।
9.
उम्मालः इसके बाद अपने आमिलों के मामलात पर भी निगाह रखना और उन्हें इम्तेहान के बाद काम सिपुर्द करना और ख़बरदार ताल्लुक़ात या जानिबदारी की बिना पर ओहदा न दे देना के यह बातें ज़ुल्म और ख़यानत के असरात में ‘ ाामिल हैं और देखो इनमें भी जो मुख़लिस और ग़ैरतमन्द हों उनको तलाश करना जो अच्छे घराने के अफ़राद हों और उनके इस्लाम में साबिक़ जज़्बात रह चुके हों के ऐसे लोग ख़ुश इख़लाक़ और बेदाग़ इज़्ज़त वाले होते हैं, इनके अन्दर फ़िज़ूल ख़र्ची की लालच कम होती है और यह अन्जामकार पर ज़्यादा नज़र रखते हैं।